Note from the Founder
बचपन से मैंने पंजाब की हवा और बहुत हि स्वच्छ वातावरण का अनुभव किया है। हमारे खेतों कि मिट्टी से जन्मी सब्ज़ियाँ, गेहूँ, सरसों और फलों के बीच हम बड़े हुए।
दूध, दही और घी तो हमारे घरों के आँगन मे बनता था। इसलिए शायद हमें कभी सर्दी ज़ुकाम ने नहीं सताया, और ना हि हम कभी बीमार होते। लेकिन शहर में सब अलग था, यहाँ का रहन-सहन, यहाँ का खाना और यहाँ की भागदौड़। शहर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, मुझे बहुत कुछ दिया, लेकिन अब यहाँ का खाना मेरे गाँव जैसा नहीं था।
बाज़ार से ख़रीदा घी ना हि शुद्ध है और ना हि देसी। मैं जो घी अपने दोनो बच्चों को दे रही थी, आज वो ही, उतना ही शुद्ध घी मैंने सभी भारतवासियों तक पहुँचाने का निर्णय लिया है।
मैं उम्मीद करती हूँ कि आप आज ही अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य की ओर एक छोटा सा, लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण क़दम उठाएँगे।

